इस ब्लॉग को लिखने वाले की भावनाओं को किसी अज्ञात कवि ने बड़ी सुन्दंरता से इस गीत में प्रस्तुत किया है ।
कवि : अज्ञात
यूँ निकल पड़ा हूँ सफ़र पे मैं
कवि : अज्ञात
यूँ निकल पड़ा हूँ सफ़र पे मैं
मुझे मंजिलों की तलाश है
नए रास्ते नए आसमां
नए होसलों की तलाश है ।
जहां बंदिशों की हो हद ख़तम
उस हसीं सहर की तलाश है
जहां रंग-ओ-खुशबू का हो मिलन
मुझे उस उफ़क की तलाश है ।
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