Thursday, June 21, 2012

Sukh Ke Sab Saathi ( सुख के सब साथी )

कवि : राजिंदर किशन 

सुख के सब साथी दुःख में न कोई 
मेरे राम मेरे राम 
तेरा नाम एक साझा दूजा न कोई

जीवन आनी जानी छाया झूठी माया झूठी काया
फिर काहे को सारी उमरिया पाप की गठरी ढोई | सुख के ....

ना कुछ तेरा ना कुछ मेरा ये जग जोगी वाला फेरा
राजा हो या रंक सभी का अंत एक सा होई | सुख के ......

बाहर की तू माटी फाके मन के भीतर क्यों न झांके 
उजले तन पर मान किया और मन की मेल ना धोई | सुख के .....

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