कहते हैं हर अच्छे कार्य का प्रारंभ ईश्वर का नाम ले कर करना चाहिए तो चलिए इस ब्लॉग की शुरुआत करते हैं गुरु ग्रन्थ साहिब के इस मधुर पद से ।
कवि : गुरु नानक देव
कवि : गुरु नानक देव
इक ओंकार सतनाम करता पुरखु
निरभउ निर्वैर
अकाल मूरति
अजूनी सैभं गुरु प्रसादि ।
जपु
आदि सच नानक होसी भी सच
सोचे सोच न होवेय जो सोची लखवार ।
चुप्पै चुप न होवई जो लाई रहा लिव तार
भुखिया भूख न उतरि जे बन्ना पुरिआ भार ।
सहस सिआणपा लख होहि त इक न चलै नालि
किव सचिआरा होइये किव कूड़े तुटे पालि ।
हुकुमि रजाई चलना
नानक लीखिया नालि ।
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