आज का गीत इंडियन ओशीयन के ताज़ा एल्बम '१६/३३० खजूर रोड' से है | मैं इसका पूरा अर्थ तो नहीं जानता किन्तु यह नाविकों द्वारा गाया जाने वाला एक बंगाली लोकगीत लगता है | इसमें कवि अपने मन की अवस्था की तुलना नदी की लहरों से कर रहें है | वे कहते है कि नदी की लहरों की ही तरह उनका मन दौड़ रहा है | बाकी का अर्थ आप अपने किसी बंगाली मित्र से पूछ सकते हैं :) |
कवि : अविक मुखोपाध्याय
धेऊ भांगे पार भांगे
मोनो आमार भांगे
धेऊ भांगे पार भांगे
शोपनो आमार भांगे
आमार भांगा ह्रदय
शोना लागे, तोरी ताने रे | धेऊ भांगे ..........
नोदिर पानी चोकेर पानी
नोदि होइया बोय
एई नोदि तुई देखलि आतो
चोखे डोरे नार | धेऊ भांगे .......
ओर खोसेते पागल होईला
तोरे प्राणेते प्राण
आशार गुंजीते पाइला
आमार नाम ||
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