Monday, June 25, 2012

Baanwra Man Dekhne Chala ( बाँवरा मन देखने चला )

कवि : स्वानंद किरकिरे

बाँवरा मन देखने चला एक सपना 
बाँवरे से मन की देखो बाँवरी हैं बातें 
बाँवरी सी धड़कने है बाँवरी है साँसे
बाँवरी सी करवटों से निंदिया दूर भागे
बाँवरे से नैन चाहे
बाँवरे झरोखों से
बाँवरे नजारों को तकना | बाँवरा मन ......

बाँवरे से इस जहां में
बाँवरा एक साथ हो 
इस सयानी भीड़ में 
बस हाथों में तेरा हाथ हो
बाँवरे सी धुन हो कोई 
बाँवरा एक राग हो 
बाँवरे से पैर चाहे 
बाँवरे तरानों पे
बाँवरे से बोल पे थिरकना | बाँवरा मन .........

बाँवरा सा हो अँधेरा 
बाँवरी खामोशियाँ 
थरथराती लौ हो मद्धम
बाँवरी मदहोशियाँ 
बाँवरा एक घुंघटा चाहे
होले होले बिन बताये 
बाँवरे से मुख से सरकना | बाँवरा मन ..........

No comments:

Post a Comment