आज का गीत मेरा सबसे पसंदीदा गीत है |
हिमाचल प्रदेश के इस लोकगीत में एक माँ और पुत्री का मधुर संवाद है | इसके बोल पहाड़ी है | मोहित चौहान जो स्वयं हिमाचल प्रदेश से है ने अपनी मोहित कर देने वाली आवाज़ में सिल्क रूट के एल्बम 'पहचान' में इसे गाया है |
कवि : लोकगीत
अम्मा पुछदी सुण धिये मेरिये
धूभरी इतणी तू किया करिया होये |
पारली वणीया मोर जो बोले हो
अम्माजी इन मोर निंदर गवाई हो |
सड ले बन्दुकिया सड ले शिकारी जो
धिये भला एता मोर मार गिराना हो |
मोर णी मारना
मोर णी गवाना हो
ओ अम्माजी इंड मोर पिंजरे पुवाणा हो |
कुथी जांदा चन्द्रमा
कुथी जांदा तारे हो
ओ अम्माजी कुथी जांदे दिलांदे पयारे हो |
हो छुप्पी जांदा चन्द्रमा
छुप्पी जांदा तारे हो
ओ धिये भला नय्ये छुप्पे दिलांदे पयारे हो ||
हिंदी अनुवाद :
अम्मा पूछती मेरी प्रिये क्यों है तू इतनी व्याकुल |
ओ अम्माजी पास के जंगल के मोर ने
मैंने निंद्रा उड़ाई है |
चलो बुलाएँ एक बन्दूक चलो लायें एक शिकारी
और इस मोर को मार गिराए |
मोर नी मारना
मोर नी गवाना
इस मोर को मैं पिंजरे में रखूंगी |
अम्माजी ये चन्द्रमा कहाँ जाता है
कहाँ जाते हैं ये तारे
और कहाँ जाते हैं हमारे प्यारे
चन्द्रमा छुप जाता है
और तारे भी छुप जाते हैं
मेरी प्रिये, लेकिन जो हमारे प्रिय है वे सदा हमारे ह्रदय में निवास करते हैं |
गीत और अनुवाद को उपलबध कराने के लिए बहुत शुक्रिया। मैं 18 वर्षों से इंतजार कर रहा था, आज पूरा हुआ।
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