मैंने पहले लिखा था कि मैं फ़िल्मी गीतों से दूर रहने का प्रयास करता हूँ | लेकिन यह पूर्ण सत्य नहीं है | मुझे पुराने फ़िल्मी गीत बहुत पसंद है विशेषकर साहिर लुधियानवी, शैलेन्द्र और गुलज़ार द्वारा लिखे गीत | उनके द्वारा लिखे गीत सुनकर ऐसा लगता है जैसे गीत सीधे किसी के ह्रदय से आ रहा हो क्योंकि वह सीधा आपके ह्रदय मैं चला जाता है, गले, मुख अथवा कानो को जैसे उसने स्पर्श ही नहीं किया हो | प्रस्तुत है शैलेन्द्र द्वारा लिखा है मधुर गीत फिल्म गाइड से |
कवि : शैलेन्द्र
वहां कौन है तेरा मुसाफिर जाएगा कहाँ
दम ले ले घड़ी भर ये छैयां पायेगा कहाँ | वहां कौन है तेरा
बीत गए दीन प्यार के पंछी सपना बनी वो रातें
भूल गए वो तू भी भुला दे प्यार की वो मुलाकाते | प्यार की वो मुलाकाते
सब दूर आन्धेरा मुसाफिर जाएगा कहाँ
दम ले ले घड़ी भर ये छैयां पायेगा कहाँ | वहां कौन है तेरा
कोई भी तेरी राह ना देखे नैन बिछाये ना कोई
दर्द से तेरे कोई ना तड़पा आँख किसी की ना रोई | आँख किसी की ना रोई
कहीं किसको तू मेरा मुसाफिर जायेगा कहाँ
दम ले ले घड़ी भर ये छैयां पायेगा कहाँ | वहां कौन है तेरा
मुसाफिर तू जाएगा कहाँ
कहते है ज्ञानी दुनिया है पानी, पानी पे लिखी लिखाई
है सबकी देखी है सबकी जानी हाथ किसी के ना आई | हाथ किसी के ना आई
कुछ तेरा ना मेरा मुसाफिर जाएगा कहाँ |
दम ले ले घड़ी भर ये छैयां पायेगा कहाँ | वहां कौन है तेरा
No comments:
Post a Comment