Wednesday, June 27, 2012

Bula Raha Hai Koi Muzko ( बुला रहा है कोई मुझको )

एक बार फिर इंडियन ओशीयन का गीत लिख रहा हूँ | यह गीत भी उनके नए एल्बम '१६/३३० खजूर रोड' से है | इस गीत के बोल मुझे अपने कॉलेज के दिनों का स्मरण कराते हैं, जब दिल में कुछ बनने की, कुछ कर दिखाने की एक आग सी लगी थी | तब उसका सच्चाई के सागर से सामना नहीं हुआ था ना :) | 

कवि : संजीव शर्मा 

बुला रहा है कोई मुझको
लुभा रहा है कोई 
टिके है पाँव जमीं पर 
है इम्तिहान की घड़ी |

पाँव जमीं पर आसमाँ पे नज़र ........
पाँव जमीं पर आसमाँ पे नज़र ........

बुला रहा है कोई मुझको
लुभा रहा है कोई 
है बंद गली के उस तरफ 
खुले आसमाँ की जमीं |

बादल गरज रहे उड़ चला है मन ......

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