मान लीजेए कोई ऐसा कवि हो जो हरिवंश राय बच्चन की तरह प्रेम के गीत लिख सकता हो और सुमित्रानंदन पन्त की तरह छायावादी कवितायें भी लिख सकता हो तो कह कवि कैसा होगा | गुरुदेव ऐसे ही कवि थे वे हर विधा में, हर रस में इतने सुन्दर गीत लिखते थे कि आप उन्हें पसंद किये बगैर रह नहीं सकते भले ही आपको उनका अर्थ समझ आता हो या न आता हो | जैसे इस गीत को ही लीजिये कितने सरल और सुन्दर शब्दों में उन्होंने यह प्रेम गीत लिखा है | और मैं तो इस गीत का अर्थ भी ठीक से नहीं जानता | सचमुच वे विश्व की एक महान प्रतिभा थे | इस गीत को सत्यजीत रे की फिल्म 'चारुलता' में किशोर कुमार की आवाज में सुना जा सकता है |
कवि : गुरुदेव रबिन्द्रनाथ ठाकुर
आमी चिनी गो चिनी तोमारे
कवि : गुरुदेव रबिन्द्रनाथ ठाकुर
ओगो बिदेशिनी
आमी चिनी गो चिनी तोमारे
ओगो बिदेशिनी
तुमि थाको शिन्धु पारे
ओगो बिदेशिनी
ओगो बिदेशिनी
देखेची शारोदो प्राते तोमार
देखेची माधोबी राते तोमार
देखेची रिधिमा झारे
तोमाय देखेची ओगो बिदेशिनी |
आमि आकाशे पातियाकान
शुनेची शुनेची तोमार गान
आमि तोमारे शोपेचे प्राण
ओगो बिदेशिनी |
भुवन भूमिया शेषे
आमि एशेशी नूतोन देशे
आमि ओतिथि तोमारि दारे
ओगो बिदेशिनी ओगो बिदेशिनी || आमि चीनी ......
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