पिछले वर्ष भारत में एक बहुत ही अच्छा कार्यक्रम टीवी पर दिखाया गया । बहुत दिनों पश्च्यात एक कार्यक्रम ऐसा आया जिसको शुरू से आखिर तक देखने की उत्सुकता हुई और प्रत्येक एपीसोड़ देखकर मन प्रसन्न हुआ । वह कार्यक्रम दीवारिस्ट ( dewarist ) था । प्रत्येक एपीसोड़ में दो या तीन बेंडो अथवा संगीतकारों को बुलाया जाता और उन्हें मिलकर एक नया गीत प्रस्तुत करने को कहा जाता । इस तरह प्रत्येक एपीसोड़ में एक से बढ़कर एक गीत प्रस्तुत किये गए । सभी इतने सुन्दर थे कि उन में से सर्वश्रेष्ठ ढूंढना कठिन था । इस कार्यक्रम को देखकर एहसास हुआ कि हमारे देश में कितनी रचनात्मकता छुपी हुई है और अगर हम मिल कर काम करना सिख जाए तो संगीत ही नहीं अपितु सभी क्षेत्रों में बहुत ही रचनात्मक कार्य कर सकते हैं । प्रस्तुत है उसी कार्यक्रम में इंडियन ओशियन और मोहित चौहान द्वारा गाया यह गीत ।
कवि : इंडियन ओशियन
माया माया रे
ठगडी माया रे
खेले कैसे खेल
खेले कैसे खेल
बड़ी कलंदर
खूब निकाले
ये पत्थर से तेल
मन का पंछी
तन का पिंजरा
बिन मांगे की जेल
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